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समस्तीपुर में 500 साल पुराने रोसड़ा कबीर मठ की जमीन पर महाघोटाला, रजिस्टर-2 में ओवरराइटिंग कर भू-माफियाओं को फायदा, प्रशासन की भूमिका कटघरे में
- Reporter 12
- 27 Dec, 2025
अमरदीप नारायण प्रसाद समस्तीपुर
समस्तीपुर जिले के रोसड़ा अंचल से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने न केवल प्रशासनिक कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि यह भी उजागर कर दिया है कि कैसे ऐतिहासिक और धार्मिक संस्थानों की जमीनें साजिश के तहत हड़पी जा रही हैं। करीब 500 साल पुराने रोसड़ा कबीर मठ की बहुमूल्य जमीन में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का आरोप लगा है।
मठ की कुल 13 बीघा जमीन में से लगभग 3 बीघा जमीन रजिस्टर-2 में हेराफेरी कर भू-माफियाओं के नाम दर्ज कर दी गई। बताया जा रहा है कि इस जमीन का मौजूदा बाजार मूल्य करीब 500 करोड़ रुपये है। गंभीर आरोप है कि अंचल कार्यालय की मिलीभगत से यह खेल रचा गया और बिना पैसे के कोई काम नहीं करने वाले रोसड़ा अंचल में यह गड़बड़ी सुनियोजित तरीके से अंजाम दी गई।
दिशा की बैठक में उठा मामला, तब हरकत में आया प्रशासन
इस जमीन घोटाले का मामला तब सामने आया जब बिहार सरकार के पूर्व मंत्री एवं कल्याणपुर विधायक महेश्वर हजारी ने दिशा समिति की बैठक में इसे जोरदार तरीके से उठाया। उनके साथ रोसड़ा विधायक वीरेंद्र पासवान ने भी पूरे मामले का समर्थन किया। बैठक में मामला उठते ही जिला प्रशासन पर दबाव बढ़ा और आखिरकार डीएम रोशन कुशवाहा को जांच कमेटी गठित करनी पड़ी।
चार सदस्यीय जांच कमेटी, लेकिन सवाल बरकरार
डीएम ने भूमि उप समाहर्ता ब्रजेश कुमार के नेतृत्व में चार सदस्यीय जांच समिति का गठन किया है। जांच की घोषणा होते ही भू-माफियाओं और कथित रूप से शामिल अंचल कर्मियों में हड़कंप मच गया है। सूत्रों का कहना है कि रोसड़ा अंचल के कई कर्मी और पदाधिकारी इस खेल में सीधे तौर पर शामिल रहे हैं, जिन पर अब कार्रवाई की तलवार लटक रही है।
पहले भी हुई थी जांच, फिर क्यों दबा दिया गया मामला?
यह कोई नया मामला नहीं है। वर्ष 2022 में मठ प्रबंधन की शिकायत पर तत्कालीन अपर समाहर्ता ने भी जांच रिपोर्ट दी थी, लेकिन उस समय न तो किसी पर कार्रवाई हुई और न ही जमीन को सुरक्षित किया गया। यह सवाल अब ज़ोर पकड़ रहा है कि आखिर किसके संरक्षण में रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाला गया?
मठ की जमीन पर होटल, लीज की शर्तों का खुला उल्लंघन
जानकारी के अनुसार मठ की यह जमीन पहले आयुर्वेद कॉलेज के लिए लीज पर दी गई थी, लेकिन नियमों को ताक पर रखकर वहां होटल तक खोल दिया गया। यह सीधे-सीधे धार्मिक न्यास की संपत्ति का दुरुपयोग है, जो बिना प्रशासनिक संरक्षण के संभव नहीं माना जा रहा।
पूर्व सांसद प्रतिनिधि ने सौंपे दस्तावेज
पूर्व सांसद प्रतिनिधि रवींद्र नाथ सिंह ने इस पूरे फर्जीवाड़े से जुड़े दस्तावेजों के साथ डीएम, राज्य के भूमि सुधार मंत्री और अन्य वरीय अधिकारियों को आवेदन देकर निष्पक्ष जांच और कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
जनप्रतिनिधियों का सीधा आरोप – अंचल कर्मियों की मिलीभगत
पूर्व मंत्री महेश्वर हजारी ने साफ कहा कि रजिस्टर-2 में ओवरराइटिंग कर जानबूझकर जमीन का रिकॉर्ड बदला गया, जो बिना अंचल कर्मियों की मिलीभगत के संभव नहीं है।
वहीं रोसड़ा विधायक वीरेंद्र कुमार ने भी कहा कि यह भू-माफियाओं और भ्रष्ट अधिकारियों का संगठित खेल है और इसकी निष्पक्ष जांच जरूरी है।
डीएम का बयान, लेकिन जनता को कार्रवाई का इंतजार
डीएम रोशन कुशवाहा ने कहा है कि जांच समिति की रिपोर्ट के आधार पर दोषियों पर कार्रवाई होगी और किसी को बख्शा नहीं जाएगा।
हालांकि जिले की जनता और मठ से जुड़े लोग यह सवाल कर रहे हैं कि क्या इस बार वाकई बड़े अधिकारियों पर कार्रवाई होगी या मामला फिर फाइलों में दबा दिया जाएगा?
सीधा सवाल
क्या रोसड़ा अंचल बिना घूस के कोई काम करता है?
क्या रजिस्टर-2 में हेराफेरी बिना अंचलाधिकारी की जानकारी के संभव है?
2022 की रिपोर्ट पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
अब निगाहें जांच कमेटी की रिपोर्ट पर टिकी हैं। अगर इस बार भी कार्रवाई नहीं हुई, तो यह साफ हो जाएगा कि समस्तीपुर में भू-माफियाओं के आगे प्रशासन नतमस्तक है।
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